Saturday, March 26, 2016

ईश विधान

ईश विधान
 
     रास्ते रोज के जाने पहचाने
  जिंदगी ख़्वाबों को सजाने
नई मंजिल पाने के लिए
नई राह जोड़ने  चल दी  ।
नए पलों को न मालूम था
ईश का विधान
क्या  होने वाला है
अनहोनी  होनी हो गई
कार दुर्घटना की दस्तक ने
तन -  मन को घायल कर
दुखों की खूनी सुनामी बहा दी  ।
लाचारी , विकलांगता  ने
सृजना की दास्तां गढ़ दी
काल कष्टों से  कलवरित
पतझड़ी पड़ाव
ठूंठ जीवन का
कालखंड
मानवीय करों के संग
सेवा , करुणा , प्यार
जीवन का हमदम बन
बसंती बहार ले आया  ।
खुशियों की ऋतु चहकने लगी
कष्टों , दुःख ,पीड़ा की अमावस्या
पूनम की चांदनी बिखेर रही
जीवन की हर सांस
मानव सेवा गुनगुनाने लगी
ईश गुण '  मंजु '  गाने लगी  ।

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